
पेट्रोल और डीज़ल के दाम आसमान नहीं छू रहे, वो आसमान फाड़कर अब ना जाने कहाँ पहुँच गए हैं।
पिछले कुछ सालों में पेट्रोल-डीज़ल की कीमत इतनी बार बढ़ाई गई है कि जनता हाथ और पैर दोनों की उंगलियों पर ना गिन पाए कि दाम कितनी बार बढ़ाए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में कुछ जगहों पर तो पेट्रोल ने शतक लगा दिया।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पुराने पेट्रोल पंपों पर प्रीमियम पेट्रोल की बिक्री बंद हो गई क्योंकि प्रीमियम पेट्रोल का दाम 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच गया। पेट्रोल पंप की पुरानी मशीनों में 3 डिजिट के दाम डिस्प्ले ही नहीं हो पा रहे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे विश्व में पेट्रोल-डीज़ल पर सबसे ज़्यादा टैक्स देने वाले हम भारत के लोग ही हैं। ज़ाहिर सी बात है पेट्रोल-डीज़ल में लगी इस आग ने देशवासियों, खासकर मिडिल क्लास की जेब और उसके घर के बजट में आग लगा दी है।
पेट्रोल व डीज़ल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट 20 प्रतिशत तक महँगा हो गया है जिससे कि आम जनता की दिनचर्या में उपयोग आने वाली वस्तु महँगी हो रही है। ट्रांसपोर्ट महंगा होने से खाने-पीने से लेकर हर तरह के सामान महंगे हो जाएंगे। इसका असर सीधे तौर पर आम जनता पर पड़ रहा है।
कोरोना में लाखों लोगों की नौकरी गई, दुकानें बंद हो गईं, लोग कर्ज़ लेकर जीने के लिए मजबूर हो गए, ऐसे में सरकार को कम से कम पेट्रोल-डीज़ल की कीमत कम कर के लोगों को राहत देनी चाहिए।
हमारी पेटीशन साइन करें और जितना हो सके शेयर करें ताकि सरकार पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को कम कर के देशवासियों को राहत दे। शेयर इसलिए भी करें ताकि पेट्रोल डीज़ल पर जनता को कितना टैक्स देना पड़ता है इस बारे में आम लोग जागरूक हों।